हर शनिवार की सुबह ‘आई’ और ‘एफ’ सेक्सन की कम्बाइंड क्लास चलती थी, और मैंने उसे पहली बार उसी कम्बाइंड क्लास में देखा था.वो मेरे ठीक आगे की बेंच पर बैठी हुई थी.वो मुझे पहली नज़र में ही अच्छी लगने लगी थी, लेकिन चाह कर भी मैं कभी उससे बात नहीं कर पाता था..हमारे कुछ कॉमन फ्रेंड थे, तो कभी कभी बस औपचारिक सी बातचीत हो जाया करती थी.एक दो बार मैंने उसके कुछ प्रोजेक्ट के कामों में मदद भी की, लेकिन फिर भी बातचीत हमेशा काफी औपचारिक सी ही रही, इसके पीछे मुख्य वजह मेरा कम घुलने मिलने वाला स्वाभाव ही था.
मेरी आदत थी की हर दिन क्लासेज खत्म होने के बाद मैं बाहर सीढ़ियों पर बैठ जाता था, और अपनी डायरी में कुछ भी उल्टा सीधा लिखते रहता था.वे बारिशों के दिन थे और मुझे उन सीढ़ियों पर बैठ कर बारिश देखना अच्छा लगता था.
उस दिन भी हलकी बारिश हो रही थी और मैं सीढ़ियों पर बैठा था..सभी लड़के अपने अपने घर को वापस जा रहे थे, लेकिन मुझे उस दिन घर जाने की कोई जल्दी नहीं थी..घरवाले किसी पारिवारिक समारोह में गए हुए थे और देर रात तक ही वापस आने वाले थे.मैंने सोचा की आज अच्छा मौका है, काफी देर तक यहाँ बैठा जा सकता है और बारिश के मजे लिए जा सकते हैं…
मैं वहाँ बैठा ही था की मुझे लगा मेरे ठीक पीछे कोई खड़ा है.मैंने मुड के देखा तो वहाँ वो खड़ी थी.मैं उसे देख हडबड़ा सा गया और लगभग हकलाते हुए मैं उससे बस इतना ही पूछ पाया..तुम यहाँ…कैसे? वो हँसने लगी, उसने मेरे सवाल का जवाब देना जरूरी नहीं समझा और वहीँ मेरे पास सीढ़ियों पर बैठ गयी..वो अपने बड़े से बैग में कुछ ढूँढने लगी और एक अमरुद निकाल कर मेरे सामने रख दिया और कहा : “थैंक गौड, तुम मिल गए..ये लो आपका गिफ्ट”..
“गिफ्ट???? कैसा गिफ्ट??” मैंने उससे पूछा.
वो लगभग मुझे डांटते हुए कहने लगी…”ज्यादा बनने की जरूरत नहीं है, कल आपका बर्थडे है, वो मुझे पता चल गया…तो ये गिफ्ट लायी हूँ…इसे चुपचाप एक्सेप्ट कर लो”. मैं मुस्कुराने लगा लेकिन अमरुद किस तरह का गिफ्ट है, मैं यही सोचने लगा…मैंने पूछा उससे “ये अमरुद कुछ डिफरेंट किस्म का गिफ्ट नहीं लगता तुम्हे ??”.
वो हँसने लगी और अपने कमीज के कॉलर को पुरे टसन में ऊपर उठा कर कहने लगी ” अरे हाँ हाँ…बहुत ही डिफरेंट गिफ्ट है…आखिर लाया कौन है इसे…मैं…देखो, जैसे मैं यूनिक अन्यूश़वल एंड प्राइस्लेस, वैसे ही ये अमरुद भी..”
मैं उसके इस मासूम से जवाब पर हँसने लगा.मुझे हँसता देख वो खफा हो गयी, गुस्सा दिखाते हुए कहने लगी.. “तुम्हे मजाक लग रहा है…पता है मैंने कितनी मेहनत से कल अमरुद तोड़ा था..
आजतक पेड़ पर चढ़ने के नाम से डरती रही, सिर्फ डंडे से ही मारकर अमरुद तोड़ा करती थी, और अब जब पेड़ पर चढ़ कर अमरुद तोड़ने की हिमाकत कर डाली और सबसे पहला तोड़ा हुआ अमरुद मैंने तुम्हे गिफ्ट में दिया तो तुम्हे ये मजाक लग रहा है…यु नो…आई थिंक आई डिजर्व लिटल बिट ऑफ अप्रीशीएशन !”
वो इतना कह कर चुप हो गयी, वो गंभीर सा चेहरा लिए मुझे देखने लगी…मैं भी चुप हो गया…मुझे लगने लगा की मुझे हँसना नहीं चाहिए था..शायद वो सही में मेरे हँसने से नाराज़ हो गयी…मैं सोच ही रहा था की उससे माफ़ी मांग लूँ की लेकिन अचानक ही वो मुझे देख कर फिर से मुस्कुराने लगी, और मेरे कंधे पर हाथ रख कर कहने लगी…” चिल यार, मैं बस मजाक कर रही थी, मेरे पास और भी कुछ है तुम्हे देने के लिए, रुको अभी देती हूँ…”
इतना कह कर वो अपने बैग में फिर से कुछ ढूँढने लगी और मैं सोचने लगा की मेरे दोस्त इस लड़की के बारे में सही कहते थे…थोड़ी पागल सी लड़की है, कुछ अजीब सी…..बर्थडे गिफ्ट में अमरुद देती है…कभी गुस्सा हो जाती है और कभी बिना बात हँसने लगती है…बड़ी कन्फ्यूज सी लड़की मालुम पड़ती है.
उसने अपने बैग में से एक गिफ्ट पैक निकाल कर मुझे दिया और गिफ्ट खोल कर देखने के लिए कहा.गिफ्ट पैक को खोला तो उसमे दो बड़े खूबसूरत से सिल्वर कलर के पेन थे.मैंने उसे तोहफे के लिए जब शुक्रिया कहा तो कहने लगी “देखो, तुमने मेरे प्रोजेक्ट में इतनी हेल्प की, तो ये तोहफा तो मुझे देना ही चाहिए न…और इस तोहफे के जरिये हमारी दोस्ती आज से शुरू होती है…नेवर एन्डिंग फ्रेंडशिप..ये सिल्वर पेन विटनेस रहेगी हमारी दोस्ती की..” ये कहने के बाद उसने एक सिल्वर पेन से मेरी हथेली पर बड़े खूबसूरत अक्षरों में लिख दिया ” विश यु अ वैरी हैप्पी बर्थडे…फ्रॉम योर न्यू स्वीट एंड क्यूट सी दोस्त”.
वो कुछ देर चुप रही, हम दोनों कुछ देर तक वहीँ बैठ कर बाहर हो रही हलकी बारिश को देखते रहे..उसने थोड़ी देर बाद कहा मुझसे “कल तो तुम आओगे नहीं, तो परसों मेरे लिए एक चोकलेट लेते आना..उसे मैं तुम्हारे बर्थडे का ट्रीट समझ कर रख लुंगी”. मैंने उसकी इस बात का जवाब नहीं दिया.वो थोड़ी देर मुझे देखती रही और मेरे कुछ कहने का इंतज़ार करती रही.वो निराश हो गयी और फिर से बारिश देखने लगी..वो एकाएक सीढ़ियों से उठी और दौड़ कर सामने कैंटीन के अंदर चली गयी.वहाँ से वो कुछ चीज़ें खरीद लायी.पहले तो मैं समझ नहीं पाया की वो कैंटीन अचानक क्यों गयी.वो जब आई तो उसके हाथ में एक बड़ा पैकेट था जिसमे तीन बिस्कुट के पैकेट, गुलाबजामुन और दो डैरी मिल्क चोकलेट थी.मैंने जब पूछा ये किसके लिए खरीद लायी..
उसने कुछ भी जवाब नहीं दिया..उसने अपने बैग में से एक बड़ा सा चार्ट पेपर निकाला..उसने उस चार्ट पेपर पर बिस्कुट को एक के ऊपर एक रख उसे एक केक का शक्ल दे दिया…चोकलेट को उसने छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ कर बिस्कुट पर छिड़क दिया और दो गुलाबजामुन को बिस्कुट के ठीक ऊपर रख दिया…जैसे केक के ऊपर चेरी रखा जाता है.करीब दस-पन्द्रह मिनट के मेहनत के बाद उसका ये बिस्कुट वाला केक तैयार हो गया था.वो उस केक को देख बहुत खुश हो रही थी, और मैं हैरान हो रहा था…की ये कैसे उसने अचानक से बिस्कुट और चोकलेट से केक बना दिया.
मेरे कम बोलने की बीमारी की हद इतनी थी की मैंने उस दिन उसे उस केक के लिए एक थैंक्स तक नहीं कहा, तारीफ़ करनी तो दूर की बात थी.उसने उस बिस्कुट केक का एक टुकड़ा मुझे खिलाया, और कहा की अब इसका एक टुकड़ा मैं उसे खिलाऊं.
मैंने झिझकते हुए केक का एक टुकड़ा उसे खिला दिया.हम दोनों कुछ देर वहीँ बैठ कर बिस्कुट केक को खाते रहे.थोड़ी देर बाद जब बारिश पूरी तरह थम गयी, तब वो वापस घर चली गयी, लेकिन मैं वहीँ सीढ़ियों पर बैठा रहा.मुझे यकीन नहीं हो पा रहा था की जिस लड़की को मैं हर रोज देखता था, जिससे चाह कर भी कभी बात नहीं कर पाता था, उसके साथ मैंने इतना खूबसूरत वक्त बिताया, और उसने मेरे लिए एक यूनिक किस्म का बर्थडे केक भी बनाया.मैंने उस दिन उन्ही सीढ़ियों पर बैठ कर उस पुरे लम्हे को अपने डायरी में लिख लिया था, और आज भी जब डायरी का वो पन्ना आँखों के सामने से गुज़र जाता है तो याद आता है की कभी मैंने अपना जन्मदिन किसी बारिश के दिन, सीढ़ियों पर बैठकर एक पागल और मासूम लड़की के साथ सेलिब्रेट किया था.
हम्म…थोड़ी पागल + कन्फ्यूज = क्रिएटिव :):)..है न ??.
WOW!!….कित्ता मस्त बSड्डे…..वैसे कौन है वो!!..जो भी है, Thanks तो बनता है उसका..अब दे देना…
अहा..क्या बात..क्या बात…ऐसे ही सरप्राईजेज़ तुम्हें मिलते रहें…और एक बात बता दूँ…इस तुम्हारे जल्दी नहीं घुलने-मिलने की और कम बोलने की आदत ने ही तुम्हारी उस से दोस्ती करवा दी…ऐसे लड़कों के साथ लडकियाँ कम्फर्टेबल फील करती हैं..:)
एक बार फिर जन्मदिन की असीम शुभकामनाएं !!
कितना खास दिन था वो…
ऐसे दीन जब याद आते है
तो कितना सुखद अनुभव होता है…
क्या लिखते है आप…
लाजवाब…:-)
🙂
ओह! 5 के बाद हमने भी पढ़ लिया।:)
क्या मस्त लिखे हो यार! मैं तो 50 से 20 में आ गया। 🙂
वाह बहुत सुंदर …मानना पड़ेगा अभि …तुम्हारे लेखन मे बहुत मासूमियत है …बिल्कुल दिल निकाल कर रख देते हो …बहुत भाव पूर्ण …!!
ह्म्म्म… हम हलुआ केक बनाते थे, याद दिला दिया…
मासूम सी दोस्ती, मासूम अंदाज…
:))
Ohh god…………… kya sunder likha hai yaar…. bus fidaa…. fidaa…… tum imagine nahin kar sakte…. mere chehre pr kaisi smile hai…. Puja ko padhkar bus yun hi muskurati hun main…….. awsummmmmmm likha hai…. jiyo
यादों में एक अविस्मर्णीय जन्मदिन…! वाह!
Belated B'day wishes:)
तुम्हारी कम बोलने की आदत का थोडथोड़ा भान तो मुझे भी हो गया … बहुत प्यारी पोस्ट …. यह जन्मदिन तुमको हमेशा याद रहेगा और साथ में बिस्कुट केक भी ।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद ।
केक, जन्मदिन … बरसात … सीडियों पे गुज़ारा वक्त …
जो यादों में उतर जाय … दिल के कोने में खिलता रहे … वो बीता हुवा नहीं होता … आज भही बीतता है साथ जैसे …
एक और मस्त पोस्ट …
How Sweet 🙂
ये मेरी टिप्पणी कहाँ भेज दिया ..मैंने किया था..कोई बात नहीं..फिर से …….. ढेर सारी बधाईयाँ.. और प्यारी पोस्ट के लिए शुभकामना ..
एक प्राइसलेस दोस्त की प्राइसलेस गिफ़्ट…। ऐसा बर्थ-डे हमेशा याद रह जाएगा…।
बहुत खूबसूरत पोस्ट…मेरी बधाई व शुभकामनाएँ…।