प्लीज..ट्राई करो न..तुम नहीं आओगे तो सुना सुना लगेगा..बिलकुल भी अच्छा नहीं लगेगा..
तुम सब चले जाओ यार..मेरे नहीं होने से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए..
फिर मैं भी नहीं जाउंगी…तुम्हारे बिना अजीब लगेगा..वैसे भी तुम पहले भी जा चुके हो लखनऊ.हमें मदद मिलेगी..और फिर मैं बोर भी तो होउंगी..किससे बातें करुँगी? प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज…आई डोंट नो एनिथिंग…..प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज….मेरे लिए चलो…प्लीज…
ओफ्फो यार…घर में अब सबके सामने एक नयी बात कहनी पड़ेगी…फिर से प्लान चेंज…क्या बोलेंगे हम?
अरे एक बार ट्राई तो करो..कोई बहाना बना लो?
नहीं यार…इत्ता आसान नहीं है न…नॉट दिस टाईम..तुम लोग जाओ न..
(इतने में ही उसकी आँखें नम हो गयी, लगा की बस अब रो देगी..वैसे भी नाज़ुक सी है, आंसूं भी उसके निकलने में वक्त नहीं लगाते..ये सब सोच कर मैंने कहा -)
अच्छा ठीक है , मैं कोशिश करूँगा, वैसे भी अभी 15 दिन हैं जाने में..लेकिन हम आने जाने की रेज़र्वेशन अलग अलग करवाएंगे!! बाद में ट्रेन पे एडजस्ट कर लेंगे..अब साथ साथ टिकट नहीं होगा तो मेरे से लड़ना मत..
प्यारा सा चेहरा बना के, कुछ बड़े अजीब से इक्स्प्रेशन के साथ वो कहती है…थैंक यू फॉर मेकिंग मी फील लाईक प्रिंसेस”.
ये उसका पेट डाइअलॉग था
हाँ रे…ई भी कोई कहने की बात है, तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त जो हो..!
“थैंक यू…थैंक यु…थैंक यु….” उसने एक ही सांस में जाने कितनी बार थैंक यु कहा होगा. फिर अपने पे ही इतराते हुआ और पास में बैठी दिव्या को ये जताते हुए की ही “वो तुमसे अच्छा मेरा दोस्त है”, उसे लगातार छेड़ने लगी और दोनों की फेमस लड़ाई फिर से शुरू हो गयी, वहीँ दूकान पर ही…
शाम रेलवे स्टेशन पहुँचते हुए मुझे थोड़ी देर हो गयी…
अरे यार दीदी जिद करने लगी की वो भी स्टेशन तक आएँगी..इसी चक्कर में मैं लेट हो गया, और ऊपर से इतनी ट्रैफिक थी…वैसे क्या हुआ शिखा को?अभी तक फीवर उतरा नहीं है?
थोड़ी दूर पर शिखा बैठी थी और हम दोनों की बातचीत सुन रही थी…मैंने पूछा उससे “क्या हुआ रे?दावा खायी या नहीं?कैसी तबियत है अब?
दिव्या, तुम रुको थोड़ा एक दो और दवाई लेकर आता हूँ मैं और कुछ स्नैक्स भी लेते आऊंगा…बाहर दुकान से, रात भर का ट्रेन है…जरूरत पड़ सकती है.
अरे यार ट्रेन खुल जायेगी…कहाँ जा रहे हो…दवा तो है ही…
शिखा तुमने कुछ खाया है या नहीं?
हाँ…लेकिन दीदी ने कुछ बना कर पैक भी कर दिया है…वो तुम खा लेना…चलो अब समान रख देते हैं सीट पे…ट्रेन खुलेगी पन्द्रह बीस मिनट में.
अच्छा एक बात बताओ तुम ज़रा..तुम्हारी सीट कौन सी बोगी में है?कम्पार्ट्मन्ट कौन सा है?सीट एक्सचेंज होगा क्या?वैसे नहीं भी हुआ एक्सचेंज तो फर्क नहीं पड़ेगा…सुबह तो पहुच ही जायेंगे.
हाँ हाँ…सीट क्यों नहीं एक्सचेंज होगा..उसकी तबियत नहीं देख रही क्या तुम? एक्सचेंज कर लेंगे..घबराओ मत तुम..
हा हा हा…हम कहाँ घबरा रहे हैं…बेवजह टेंसन तो तुम ले रहे हो.बिना किसी बात की..क्यूँ इतना परेसान हो रहे हो?बस फीवर ही तो है, ऊपर से तुम एक्स्ट्रा दवा भी तो ले आये.डोन्ट वरी, शी विल बी फाईन!
ट्रेन में उतनी भीड़ नहीं थी और ट्रेन लगभग खाली जा रही थी..तो हमें सीट एक्सचेंज करने की जरूरत नहीं हुई..वो सब जहाँ थे, वहीँ एक मिडल सीट खाली थी..मैंने जाकर टी.टी को कह दिया की उस सीट पे मैं रहूँगा, अगर कोई आये तो उसे मेरा सीट दे दे वो..टी.टी ने कोई आपत्ति नहीं दिखाई.साइड अपर सीट था शिखा का और साइड लोवर था दिव्या का.
लो खा लो कुछ, दीदी पुरी-सब्जी बना कर दी हैं..खा लो फिर दवा खा लेना.
अच्छा रुको, खिड़की बंद कर देते हैं…ठीक है खाना नहीं खाना है तो ये बिस्कुट और केक खा लो.
चुप चाप खाओ तुम, दवा तुम्हे एक और खानी है अभी.चलो जल्दी खाओ(गुस्से में मैंने कहा)
ठीक है बाबा……खाती हूँ… इतना गरम काहे हो जाते हो तुम(वो तो है ही नाज़ुक सी ..थोड़ी डांट में ही डर भी जाती है )
वो बिस्कुट बड़े ही स्टाइल से कुतर कुतर के खा रही थी और टैबलेट हाथ में लेकर पता नहीं क्या बकवास किये जा रही थी.मैं उस समय सोच रहा था की देखो, बीमार है लेकिन स्टाइल अभी तक गया नहीं…बिस्कुट खाने का अब अलग स्टाइल..दवा पे पता नहीं क्या रिसर्च कर रही है.हद ही हो गयी 😉
दिव्या ने मुझे देखते हुए हँसते हुए कहा
कितना खायेंगे यार हम?…वैसे भी खाना खा कर आ रहे हैं…
ओह….अच्छा हाँ, तुमने बताया था..बुखार में मैं सब भूल जाती हूँ.पता है आज शाम न लता मैडम भी परेसान हो गयी थी बहुत…मुझे लगा की आज जाना कैंसल हुआ.
एक लंबे पॉज़ के बाद..दिव्या कहती है…
तुम लोग अभी तक सोये नहीं ?? क्या यार सो जाओ…शिखा नाटक मत कर तू..तबियत खराब है तेरी…सो जा चुप कर के…
तुम सुनो इसकी फ़ालतू के गोसिप..मैं सो रही हूँ अब…नींद आ रही है…
ठीक है ठीक है सो जाओ…गुड नाईट..
गुड नाइट दिवू…तू बस अपने “मिल्स एन बून्स” पढ़ती रह…और सोती रह…कोई और काम तो तुझसे होता नहीं..
यार तुम हद कर रही हो…बहुत जिद्दी होते जा रही हो तुम…आराम से सो जाएँ ये तो होता नहीं और फ़ालतू में बहसबाजी कर रही हो दिव्या से…जब तबियत ठीक हो जाएगा तो जितना मन करेगा उतना लड़ना.
“अरे… तुम जानते हो…..इस बार के स्टारडस्ट में सलमान खान का एक बहुत बहुत अच्छा आर्टिकल आया है…तुम पढ़े की नहीं…जरूर पढ़ना..मेरे पास है…कोचिंग में ले लेना..और ऋचा(मेरी बहन) को भी पढाना…हम दोनों सेम सेम हैं…सलमान खान फैन्स यु सी..उसे पसंद आएगा वो आर्टिकल, और तुम्हारी ग़लतफ़हमी दूर होगी”
अब तुम्हे फीवर में सलमान खान याद आ रहा है…चुप चाप सो जाएँ ये तो होता नहीं…
फिर से एक अजीब सा एक्सप्रेसन बनाते हुए, क्यूट सा एक्सप्रेसन बनाते हुए देखती है मुझे..और गुस्सा हो जाने का नाटक करती है, मैं उसे देख मुस्कुरा देता हूँ..
ठीक है ठीक है..बोलो क्या कह रही थी…ऐसे जोकर टाईप चेहरा अब मत बनाओ…
जितना ये आर्टिकल याद है तुम्हे, उतना कभी पढाई भी की हो तुम?एक आर्टिकल सलमान खान का याद है और काम की बातें कितनी याद रहती हैं तुम्हे?जितना तुम सलमान खान के बारे में पढ़ती है उतना ही अगर केमिस्ट्री फिजिक्स पढ़ती न तो पिछले साल ही आई.आई.टी क्रैक कर लेती तुम..थोड़ी देर बाद उसे नींद आने लगी थी..मैं भी अपर बर्थ पे चला गया…मुझे तो नींद आ नहीं रही थी,पता नहीं क्यों….कुछ अच्छा अच्छा सा नहीं लग रहा था…हो सकता है शाम में सब कुछ इतनी जल्दबाजी में हुआ उसकी वजह से या फिर मैं एक दो दिन और रुकना चाहता था वो वजह थी या फिर इसके तबियत का ख़राब होना. जो भी हो वजह मैं सो नहीं पाया…मैं बार बार नीचे देख रहा था, की कहीं वो जाग तो नहीं गयी..फिर कुछ देर बाद ही उसकी नींद खुल गयी…मैंने ऊपर से पुछा..
अरे तुम जागे हुए हो???? “:o 😮 :o” ये वाला एक्सप्रेसन इस बार उसके चेहरे पर था.
हाँ बस ऐसे ही
ओह…मुझे पता नहीं क्यों नींद नहीं आ रही यार…
हम्म…रुको आते हैं नीचे…
एक तो उसे फीवर था, फीवर तो अब दवा खाने के बाद बहुत कम हो गया था लेकिन सर्दी अभी भी थी उसे…उसे थोड़ी नींद सी आने लगी…उसने मेरे कंधे पर अपना सर रख दिया और वो सो गयी..कुछ देर बाद मैंने उसके चेहरे को गौर से देखा तो पूरा चेहरा लाल पड़ गया था.अजीब सा चेहरा हो गया था उसका..मुरझाया सा…मैं सोचने लगा जिसका चेहरा हमेशा इतना खिला रहता है उसके चेहरे की ऐसी हालत? भगवान इसके जैसी इतनी प्यारी और नाज़ुक लड़कियों की तबियत आखिर खराब करते ही क्यों हैं…इन्हें तो हमेशा खुश रहना चाहिए, बहुत ज्यादा खुश.मैं उसके चेहरे के तरफ पता ज्यादा देर देख नहीं सका, मेरा मन अजीब सा हो गया था, मुझे कुछ समझ नहीं आया की मैं क्या करूँ..कुछ देर तक मैं वहीँ बैठा रहा, उसकी जब नींद खुली तो उसे अहसास हुआ की वो मेरे कंधे पर अपना सर रख सो गयी थी.उसे फिर बर्थ पर सोने कह कर मैं अपने बर्थ पर वापस चला गया.सुबह के ३ बज रहे थे उस वक्त और पटना पहुचने में अब भी ४ घंटे बाकी थे.
सुबह ५ बजे दिव्या की नींद खुली..वो शिखा के पास आकर बैठ गयी.मैंने ऊपर बर्थ से कहा,सो रही है दिव्या वो, अभी दो-तीन बजे सुबह तो वो सोयी है…
मिस्टर चौकीदार..तुम सोये नहीं थे क्या रात भर..हम्म..??
चुप रहो…आराम से पता चल रहा है की तुम सोये नहीं थे…हा हा हा फिर हँसने लगी वो
अरे मैं सोया था लेकिन अचानक शिखा उठ गयी तो मेरी भी नींद खुल गयी…वैसे तुम और मैडम तो सो ही रहे थे…इतना भी नहीं हुआ की शिखा की तबियत खराब है तो पास बैठे थोड़ी देर…
हा हा हा…मुझे पता था न की तुम हो इसलिए हम आराम से सो गए थे….और देखो तो, मैडम तो अभी भी सो रही हैं …रुको मैं अभी उठाती हूँ मैडम को…
अरे वो सोया ही कब था की उठेगा….दिव्या ने मजाकिया रूप में और मुझे चिढाने के लिए कहा शिखा से..
तुम सोये नहीं थे???? 😮 😮 क्यूँ? अरे मैं ठीक थी यार…फीवर भी तो नहीं था, बस सर्दी थी…थोड़ी सी खांसी और क्या…
दिव्या- बाप रे..एक तो ये महाशय, सोये नहीं रात भर ट्रेन में, और ऊपर से ये मिस इंडिया…नखरे तो देखो इनके खाना खाने में नखरे…फीवर में सलमान खान याद आता है…पक्का भारी वाली ड्रामा क्वीन है ये लड़की …और नहीं तो क्या
तू चुप रह..बड़ा दोस्त दोस्त कहती फिरती है…तू तो सो ही गयी थी…एक बार भी उठा नहीं गया तुझसे…रहने दे तू बस..फ़ालतू के एक्स्प्लनेशन मत दे…
हाँ जी….हम तो कोई है ही नहीं…जो भी किया है आज तक हेल्प तुझे, बस एक इसने ही तो किया है…हमने तो कुछ किया ही नहीं न…
हाँ हाँ सीखने को अब ये महाशय रह गए है न….और लोग तो लगता है अब है ही नहीं दुनिया में ..ही ही ही..
देख अब तू मार खा जायेगी…सुधर जा…वरना सोच लेना तू…
(उन दोनों की बहस ऐसे ही चलती रही उस दिन और मैं बस दोनों के झगड़ों के मजे ले रहा था…)
हर शाम को लगता है मेरे कमरे में यादों का एक मेला ..इसके सिवा कुछ कहा नहीं जाता इस पोस्ट के लिए ..लाजवाब इसके साथ कुछ अपनी यादें भी याद आगें………..शुक्रिया शुक्रिया
अरे वाह !
क्या मस्त पोस्ट है. वैसे अभिषेक, उस समय हम भी पटना में ही थे.और जब शिखा गयी थी लखनऊ तब मैं भी थी पटना में.लेकिन मुझे ये पता नहीं था की तुम भी गए थे साथ में.
मजा आ गया पढ़ के !! 🙂
vaise toh ye main pehle bhi padh chuka hun …. par har baar padhke refreshin n new lagta hai …. bahut accha laga padhke ..>!!!! 🙂
–VARUN
thank u fr mkng meh feel lyk a princesss :* waah waah 🙂 🙂
majedaar !
last comment nidhi k trf se tha..not mere trf se
-abhishek & nidhi 🙂
@सपना भाभी…अगर आप दुबारा ये पोस्ट पढ़ें तो कमेन्ट कीजियेगा…अभी आपका एक कमेन्ट गलती से मेरे से डिलीट हो गया 🙁
बुरा मत मानियेगा.. गलती से डिलीट हुआ 🙁
वैसे शुक्रिया 🙂
बहुत अच्छा..!!!!!!!!!!
इस बारे मेरे तरफ से…. 🙂
ही ही ही ही…मैंने तो expect ही नई किया था इस पोस्ट का कभी………..सच्ची !!! lots of old memoriezzzz….!!!
पर पुराना किस्सा याद आ गया कसम से ! बहुत अच्छा लग रहा है पढ़ना इसे…!!!!
वैसे और सभी को बता दूँ की इसमें लगभग सभी बातें सही है.
कुछ इसने नहीं लिखी जैसे इसे मैंने कितना चिढ़ाया था अगली सुबह……….याद है अभिषेक न 😉 ही ही ही ही ही !!!!!!
और वैसे तुम्हे ये सब बातें याद कैसे है??????????भूले नहीं क्या 😀
और भी कुछ बातें कहूँगी पर बाद में .. personally !! 🙂
वैसे वो दिन मस्त थे यार ….और हाँ वो नूडल्स…wowwwwwww yummy 😉
I am just waiting for SHIKHAZZZZ Comment here…
I m leavng nw…almost puri raat aj jg gayi..ab sone jaa rahi hu 🙂
love u friend 🙂
Cute post and comments are too cute…lucky u r all friends r there to read these yaaden…:)
अभिषेक आपने बड़े ही अच्छे से लिखा है.बड़ा ही cute सा पोस्ट है.आज मैं पहली बार आपका ब्लॉग पढ़ रही हूँ.मुझे नहीं मालूम था की आप लिखते हैं.वैसे तो मैं उसी वक्त समझ गयी थी जब आप आये थे दिल्ली और हमसे मिले थे.
चलिए आज आपका ब्लॉग भी देख लिया.प्रेम को thanks कहूँगी.उन्ही से तो पता चला मुझे.
प्रिया भाभी…
शुक्रिया आपका…मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा है की आप मेरा ब्लॉग पढ़ रही हैं…चलिए आपसे तो कल फोन पे बात करेंगे आराम से…
@रश्मि जी,
हाँ वो तो है…मुझे सबसे ज्यदा संतुष्टी तब मिलती है जब अपने दोस्त या फिर बहन-भाई मेरे ब्लॉग पर कमेन्ट करते हैं… 🙂
थैंक्स रश्मि जी… 🙂
@दिव्या
इतना बड़ा कमेन्ट और वो भी हिंदी में…चलो अब कार टॉक वाले ब्लॉग पे कुछ पोस्ट करो 😉
अन्जुले भाई, प्रीती दीदी…वरुण ,अभिषेक और निधि,
सभी का शुक्रिया जी 🙂
Kahani ka andaaj achha laga…
Apne manobhavon ko bakhubi prastut kiya hai aapne…
बहुत अच्छी लगी पोस्ट.
agree with Rashmi ji.. 🙂
thank u 🙂 🙂
@दिव्या
अब आ गयी न.. 🙂 🙂
वो लाइन बहुत cute सा है
और ऊपर से ये मिस इंडिया…नखरे तो देखो इनके खाना खाने में नखरे…फीवर में सलमान खान याद आता है…ड्रामा क्वीन है ये…और नहीं तो क्या
and
फ़ालतू के एक्स्प्लनेशन मत दे तू…
बिलकुल वैसा ही जैसा था..exact .. !! ~~
यादें…..कुछ खट्टी…कुछ मीठी…बहुत अच्छा
ये मैं दूसरी बार पढ़ रही हूँ.मुझे सही में ये इतना ज्यादा पसंद आया.
🙂
haww i m too late 😮 .. but still 🙂
@shikha di … 😀 😀 kya yaar kitna style maarti ho aap aur nakhre bhi mast hai aapke 😀 😛 so sweettt … mmuuaaaahhhhhh
@divya ji … u r mast yaar … aapki jagah mein hoti to aur jyaada kheechti in dono ko 😛 i know aapne bhi koi kasar nahi choodi hogi 😀
@abhi bhaiya ….. mujhe ye story sabse acchhi lagti hai last time jab aapne mail ki thi tab bhi read karke acchha laga tha aur aaj bhi 🙂 and u r so caring 🙂 and so sweetuuuu 😀 😛 mmmmmuuuuuuuuaaaahhhhhh
Ohh… i skip dis post ! 😮
diszz dat convo on which onc i wrote sumthng in my facebuk status… 🙂
usi mei se do lyns fir se likh ra hu….
"I dnt knw whozz lucky…shikha ji cozz u r olways dere 4 her or u coz shezz wid u…. i cnt judge…but ol in ol i knw dat dis is sumthng rare n sumthng unimaginable in dis real world" 🙂 🙂
U told me ol dis face to face but still wenever i go thru dis convo … totally speechless !
n haan in ol dis … i miss riya jii 😀 😀 wo hti train mei toh jalwa kuch aur hi hta 😀 😀 😀 😀
Abhi bro…shikha jiee n divya jiee…..hatzz off ! 🙂
True gems of frndshp… 🙂
hamesha ki tarah aapki yh post bhi bahut acchi lagi haan lambi zarur bahut hai…. magar bandhe rakhti hai 🙂
मुझे ये तुम्हारा पोस्ट बहुत ही ज्यादा पसंद है. तुम्हारा ये लिखने का अंदाज-अ-बयां इतना अच्छा लगा जैसे पढते वक्त मुझे लगा मैं भी हूँ वहाँ. एक और बात इसको पढ़ने से मुझे अपने पुराने हॉस्टल का वो दीवार याद आ रहा है जहाँ हम सारी रात गुजार देते थे अपने गप्पे में.
सलमान खान…हाहाहा…वैसे अभि…बहुत अच्छा लगा पढ़ कर…खुशनुमा सी कर देती हैं मन…कुछ यादें…|
और हाँ…तुम भूल गए थे इस पोस्ट का लिंक देना…हमेशा कि तरह…|
🙂 🙂 🙂
प्यारी सी कुछ पुरानी यादे जिनका एहसास ही अविस्मरनीय होता हें, उन पलो कोयाद करना और उन में खो जाना एक अनुपम एहसास होता हें. इन पलो को दिल से जीना और उनके जेहन में आते हे इंसान क सारे TENSON दूर भाग जाते हे. रहता हे तो सिर्फ " यादो क समंदर में सिर्फ अकेली कस्ती " .ये जिन्दगी का कोई भरोसा नही पता नही कब कस्ती डूब जाए , हर एक पल को याद बनाकर जीओ जो हर एक क मन में खुशिया भर दे. किसी ने ठीक ही कहा हें के " तुम इन्सान की ख़ुशी में भागीदार बनो ना बनो पर उसके दुःख में भागीदार जरुर बनना " बस इसी का नाम जिन्दगी हें.
अपने गम को छिपाकर दूसरों में खुशियां बांटो. . . बस चलते चलो . . . आप सबको राहुल र जैन का सलाम… हँसते हसाते-गूद गुधाते / फ़िर मिलेँगे
नमस्कार.