
कुछ पुरानी बातें अनजाने ही याद आ जाती है. ये भी ख्याल आता है कि ऐसा होता तो वैसा होता, ये होता तो वो होता. तुम्हारा भी ख्याल आता है, कि तुम होती तो शायद कुछ और ही होता मैं. कुछ और ही ज़िन्दगी होती मेरी. दिल अनायास ही जाने क्यों ये सब बातें कह जाता है —
कुछ शाम पहले
उसी मोड़ पे आ रुका था मैं
जहाँ हुई थी हमारी आखरी मुलाकात..
पटना की उन गलियों के
हम कितने चक्कर लगाते थे…
दीवानों की तरह इधर उधर फिरते थे
उन्ही गलियों से गुज़रते हुए
जाने कितनी बातें याद आती गयीं…म्युजियम के पास वाले उसी मोड़ पर
जो एक टूटी फूटी पुरानी लकड़ी की बेंच थी,
जिसपर हम थक कर बैठ जाते थे,
आईसक्रीम, जलेबियाँ खाते थे…
बहुत देर तक मैं बैठा रहा था
लगा की जैसे,
अभी पीछे से
दौड़ते हुए तुम आओगी मेरे पास
और फिर से आईसक्रीम खाने की जिद करोगी,
मैं डांटूगा तुम्हे, तो तुम रूठ जाती…
मैं फिर मनाता तुम्हे बड़े प्यार से,
लेकिन मेरी हर प्यार भरी बातों का जवाब तुम
देती इनकार में…फिर मान जाती खुद ब खुद
और कहती मुझसे,
तुमसे भी कोई नाराज़ हो सकता हा भला…
लेकिन उस शाम,
ना ऐसा कुछ भी हुआ था…
मैं बस अकेला बैठा, तुम्हे याद करते रहा था.तुमसे दूर हुए एक ज़माना हो गया,
फिर भी हर पल तुम्हारा तसव्वुर मेरे साथ है
जब से गयी हो तुम, दिल की जैसे ख़ुशी भी चली गयी कहीं..
मुस्कुराता हूँ, हँसता हूँ,
सिर्फ तुम्हारी वजह से, की तुमसे वादा किया था कभी…हाँ, मैं जानता हूँ…
जो है लिखा किस्मत में वही होगा,
हम चाहे कितनी भी खवाहिशें कर लें,
लेकिन तुम होती मेरी किस्मत में
तो अच्छा होता..
उसी मोड़ पे आ रुका था मैं
जहाँ हुई थी हमारी आखरी मुलाकात..
पटना की उन गलियों के
हम कितने चक्कर लगाते थे…
दीवानों की तरह इधर उधर फिरते थे
उन्ही गलियों से गुज़रते हुए
जाने कितनी बातें याद आती गयीं…म्युजियम के पास वाले उसी मोड़ पर
जो एक टूटी फूटी पुरानी लकड़ी की बेंच थी,
जिसपर हम थक कर बैठ जाते थे,
आईसक्रीम, जलेबियाँ खाते थे…
बहुत देर तक मैं बैठा रहा था
लगा की जैसे,
अभी पीछे से
दौड़ते हुए तुम आओगी मेरे पास
और फिर से आईसक्रीम खाने की जिद करोगी,
मैं डांटूगा तुम्हे, तो तुम रूठ जाती…
मैं फिर मनाता तुम्हे बड़े प्यार से,
लेकिन मेरी हर प्यार भरी बातों का जवाब तुम
देती इनकार में…फिर मान जाती खुद ब खुद
और कहती मुझसे,
तुमसे भी कोई नाराज़ हो सकता हा भला…
लेकिन उस शाम,
ना ऐसा कुछ भी हुआ था…
मैं बस अकेला बैठा, तुम्हे याद करते रहा था.तुमसे दूर हुए एक ज़माना हो गया,
फिर भी हर पल तुम्हारा तसव्वुर मेरे साथ है
जब से गयी हो तुम, दिल की जैसे ख़ुशी भी चली गयी कहीं..
मुस्कुराता हूँ, हँसता हूँ,
सिर्फ तुम्हारी वजह से, की तुमसे वादा किया था कभी…हाँ, मैं जानता हूँ…
जो है लिखा किस्मत में वही होगा,
हम चाहे कितनी भी खवाहिशें कर लें,
लेकिन तुम होती मेरी किस्मत में
तो अच्छा होता..
पहला कमेन्ट मेरा ही है..अरे वाह क्या बात !
अच्छा लिखे हो.
पटना की मुझे बहुत याद आती है.लेकिन तुम्हारी यादों का कारन तो कुछ दूसरा ही है ..मैं बस यही चाहती हुं की तुम्हारी मुरादें पूरी हो !
पहला कमेन्ट मेरा ही है..अरे वाह क्या बात !
अच्छा लिखे हो.
पटना की मुझे बहुत याद आती है.लेकिन तुम्हारी यादों का कारन तो कुछ दूसरा ही है ..मैं बस यही चाहती हुं की तुम्हारी मुरादें पूरी हो !
🙂
bahut khub
bahut sundar rachna
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com
pyar ke khoobsurat jazbaat avam ahasas se bhari sundar rachna ke liye badhai.
poonam
बहुत शानदार लिखा है
bahut sundar! likhte rahiye!
पटना की याद आ रही है,
याद आ रही है,
तेरी याद आ रही है।
बहुत सुंदर
मातृ दिवस के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें और मेरी ओर से देश की सभी माताओं को सादर प्रणाम |